दिव्यांग ने आजमगढ़ का रोशन किया नाम, व्हीलचेयर क्रिकेट टीम में सेलेक्शन, बेस्ट फिल्डर का मिला अवार्ड, परिजन भावुक

Azamgarh

उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला बार-बार सुर्खियों में रहा है लेकिन आज आजमगढ़ मे होनार युवाओं ने आजमगढ़ जिले का नाम भारत में ही नहीं देश विदेश में रोशन किया। हम आजमगढ़ जिले की बात कर रहे हैं जहां एक युवक पैर से विकलांग होने के बावजूद भी व्हीलचेयर क्रिकेट टीम में सलेक्शन हुआ है। सिलेक्शन होने की जब सूचना होनार युवक मोहम्मद आदिल के घर पर पहुंची। परिवार के सभी लोग खुश हुए। जब हमने मोहम्मद आदिल से बात किया तो वह अपने क्रिकेट के बारे में बताया कहाँ की मेरा बचपन से ही क्रिकेट खेलने का सपना था जो आज पूरा हुआ।

मोहम्मद आदिल में बताया की मैं कभी अपने खेल से हार नहीं माना जो मेरी मजबूरियां थी उसे ही मैं अपनी ताकत बनाया और मेरे घर वालों का साथ हमेशा मिला इसलिए मैं आज इस मुकाम में हूं आदिल ने बताया कि मैं लोकल टीमों से बहुत बार क्रिकेट खेला हूं अगर टीमों का नाम गिनवाता रहुँ तो पूरा दिन गुजर जाएगा। हमने अपने गांव से बहुत से टूर्नामेंट खेला हूँ मैं अपने गांव की टीम से जुड़ा हूं। और जो मेरा सफर है धीमे-धीमे आगे बढ़ रहा है। फिलहाल में UP की स्टेट लेवल की टीम उत्तर प्रदेश से जुड़ा हूं टीम इंडिया डी सी बी आई के अंदर खेलती है इंडियन टीम मैं मेरा नाम आया अंडर सिक्सटीन में मैच खेला और बेस्ट फील्डर का अवार्ड भी मिला इससे मुझे बहुत खुशी है मैंने एक्सपेक्ट नहीं था कि पहले मैच में मेरे साथ यह होने वाला है मैंने अपना पूरा समय दिया हंड्रेड परसेंट व नतीजा आज आपके सामने हैं। जो फैसिलिटी बड़े क्रिकेटरों को जैसे विराट कोहली रोहित शर्मा को दी जाती थी वैसे ही फैसिलिटी मुझे भी मिली आदिल ने कहा कि मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मेरे दोस्तों का साथ मेरे परिवार वालों का साथ इन लोगों ने मेरा कभी भी साथ नहीं छोड़ा आदिल ने कहा कि मुझे कभी एहसास ही नहीं हुआ कि मेरे दोनों पैर नहीं है। मेहनत और लगन से मैं क्रिकेट खेला और इस मुकाम पर पहुंचा।

आदिल के दोस्तों से बातचीत की तो उनका भी कहना है आदिल एक अच्छा खिलाड़ी है हम लोगों के साथ आदिल बहुत बार खेला और हम लोग जानते थे कि लगन से आदिल मेहनत कर रहा है। वह दिन बहुत जल्दी आएगा और वह दिन आ गया। पूरे गांव में पूरे शहर में दोस्तों में परिवारों में खुशी का माहौल है। और हमें गर्व है कि हमारा दोस्त इतना आगे बढ़ा।

आदिल के पिता से बात की गई तो उनके पिता ने पहले ही भावुक हो गए और कहे कि यह मेरा बड़ा बेटा है। इस मुकाम पर पहुंचा है हमें बहुत खुशी है। अगर मेरे पिता होते तो मैं और खुश होता। आदिल को कभी अकेला महसूस हमने नहीं होने दिया।

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