गणेश चतुर्थी के पर्व पर आजमगढ़ के रामघाट स्थित बड़ा गणेश मंदिर पर शनिवार सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। प्राचीन बड़ा गणेश मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार किया गया था और मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। भारी संख्या में उमड़े भक्तों ने श्रीगणेश जी की वंदना की और भगवान की आरती उतारी गयी। इस दौरान भगवान गणेश के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा।
परिवार की मंगलकामना के सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना के साथ महिलाओं ने मंदिर में ही विधि विधान के साथ श्रद्धापूर्वक और विश्वास के साथ श्रीगणपति की अराधना व पूजन किया। महिलाओं ने श्रीगणेश के साथ ही भगवान शिव और आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा की। मंदिर के बाहर सिद्धि विनायक को चढाने के लिए फूल व माला की दुकाने सजी हुई थीं। माना जाता है कि श्रीगणेश को चतुर्थी का व्रत बहुत ही प्रिय है। भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि में ही उनका प्राकट्य हुआ था। इसी दिन कार्तिकेय के साथ पृथ्वी की परिक्रमा लगाने की स्पर्धा में उन्होंने पृथ्वी की बजाय शंकर पार्वती की सात बार परिक्रमा की थी। शिव ने प्रसन्न होकर देवों में प्रमुख मानते हुए उनकी प्रथम पूजा का अधिकार दिया था। गणेश जी विघ्नों का विनाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। जो गणेश व्रत या पूजा करता है उसे मनोवांछित फल तथा प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। इसके लिये पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त हो कर शुद्ध आसन में बैठ कर सभी पूजन सामग्री पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि को एकत्रित कर पूजन किया जाता है।