आजमगढ़ महोत्सव में जल संरक्षण समस्या व समाधान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में इं कुलभूषण सिंह ने बताए महत्वपूर्ण उपाय, बताया महत्व

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आजमगढ़ 20 सितम्बर– आजमगढ़ स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित पांच दिवसीय आजमगढ़ महोत्सव के तीसरे दिन हरिऔध कला केंद्र आजमगढ़ में आज जलसरक्षण समस्या एवं समाधान विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला में मुख्य वक्ता राजकीय पॉलिटेक्निक आजमगढ़ के शिक्षक एवं जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक, राज्य भूजल पुरस्कार प्राप्त इं0 कुलभूषण सिंह ने ऑडियो विजुअल शो के माध्यम से बताया कि पृथ्वी पर उपलब्ध भूजल के सापेक्ष भारत में 04 प्रतिशत ही शुद्ध जल उपलब्ध है, जबकि भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का 18 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि वर्षा जल का केवल 8 प्रतिशत ही भूगर्भ जल के रिचार्ज में उपयोग हो पता है, अधिकांश वर्षा जल पक्की छत, पक्की नालियांे, पक्की सड़कों से होते हुए नदी के रास्ते समुद्र में चला जाता है। पानी की मांग और आपूर्ति का यह अंतर ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2030 तक मांग दोगुनी हो जाएगी और आपूर्ति आधी हो जायेगी।
कार्यशाला में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को जल संरक्षण की समस्या एवं समाधान के विषय पर बताया कि कृषि में सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन का उपयोग करके 60 से 70 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है। एक किलोग्राम चावल पैदा होने में 2000 से 3000 लीटर पानी उपयोग होता है, इसलिए जहां संभव हो, वहां दलहन एवं तिलहन की खेती करके बड़ी मात्रा में पानी को बचाया जा सकता है। आजमगढ़ जनपद में घाघरा नदी एवं तमसा नदी सहित कुल 13 नदियां एवं 144 ताल/तालाब तथा छोटे-बड़े ताल हैं, जिसमें ताल सलोना लगभग 78 एकड़ का है। हम आजमगढ़ के लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे पास इतनी बड़ी मात्रा में प्रकृति द्वारा प्रदत्त जल संपदा है। उन्होंने छात्रों को दैनिक जीवन में पानी की बर्बादी रोकने के विषय में टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि पानी की टंकी के ओवरफ्लो से 1 मिनट में 100 लीटर शुद्ध पानी बर्बाद हो जाता है, इसमें वॉटर अलार्म लगाकर इसको रोका जा सकता है। सबमर्सिबल पंप से 10 मिनट कार धोने में लगभग 1000 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, बाल्टी में पानी भरकर कार धोने में 02 बाल्टी पानी उपयोग होता है, जिससे लगभग 900 लीटर पानी बचाया जा सकता है। एक खुली नल से एक मिनट में 6 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, नल खोलकर 10 मिनट दाढ़ी बनाने पर 60 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि मग में पानी भरकर दाढ़ी बनाने में पर 1 लीटर पानी उपयोग होग, इससे 59 लीटर पानी बचाया जा सकता है। एक टपकती बूंद से एक दिन में 5 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। 100 वर्ग फुट के छत पर रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने से बरसात में वर्षा जल का लगभग 01 लाख लीटर पानी भूगर्भ में रिचार्ज किया जा सकता है। छात्रों को नदियों एवं तालाबों में पॉलिथीन एवं प्लास्टिक बोतल न फेंकने हेतु भी जागरूक किया गया। छात्रों को पॉलीथिन और प्लास्टिक बोतल से ईको ब्रिक बनाने के विषय में बताया गया। छात्र-छात्राएं एक लाख पॉलिथीन से ईको ब्रिक बनाएंगे, जिसे राजकीय पॉलिटेक्निक में इंजीनियर कुलभूषण सिंह द्वारा पॉलिटेक्निक के छात्रों के सहयोग से दीवाल बनाने एवं अन्य स्ट्रक्चर बनाने में उपयोग किया जाएगा।
अन्त में छात्र-छात्राओं को जल संरक्षण के सम्बन्ध में उपयोग हेतु जल के रिड्यूस, रियूज, रिचार्ज एवं रिसाईकल की शपथ भी दिलाई गई।
कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन रेफरी श्री अजेंद्र राय, भूगर्भ जल विभाग के हाइड्रोलॉजिस्ट श्री आनंद प्रकाश, अवर अभियंता राशीद, आईटीआई के शिक्षक, अनीश सिद्दीकी, सुमित वर्मा, रवि पाठक, शुभम, राहुल सांकृत्यायन नर्सिंग स्कूल की छात्राएं, सर्वाेदय, पॉलिटेक्निक, जीजीआईसी आजमगढ़, इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के लगभग 400 छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।

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