
भले ही शासन की तरफ से स्वास्थ्य सुविधा को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं लेकिन खुद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी ही अमानवीय हरकत करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला आजमगढ़ के मंडलीय चिकित्सालय में सामने आया है। जिसमें बलिया जनपद से आए रिटायर्ड आर्मी मैन जो कि दिव्यांग भी हैं, उनको मेडिको लीगल केस के संबंध में एक्स रे के लिए एसआईसी से लेकर डॉक्टर दौड़ाते रहे। पहले तो एक्स-रे करने से ही मना कर दिया गया लेकिन जब लोगों का दबाव पड़ा तब किसी तरीके से ना नुकुर करते हुए तैयार हुए। पीड़ित भरत तिवारी आर्मी की ड्यूटी के दौरान एक पैर से दिव्यांग हो गए थे। नायक पद से रिटायर हो गए। लेकिन उनको अब दूसरी जंग घर से लेकर अस्पताल तक लड़नी पड़ रही है। बलिया जनपद के रसड़ा थाना के पूरादलई तिवारी गांव निवासी भरत तिवारी का रास्ते को लेकर पट्टीदार से विवाद हो गया। भरत तिवारी के अनुसार उनके पट्टीदार जबरन उनके घर के आगे ट्रैक्टर दौड़ा रहे थे। जब भरत तिवारी की पत्नी ने मना किया तो उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। जिससे उनके पैर में गंभीर चोट आई। मामले में जब उन्होंने कानूनी कार्रवाई का प्रयास किया तब पुलिस ने एक्स रे के लिए अस्पताल जाने को कहा। पीड़ित रसड़ा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए वहां से उनको बलिया के जिला चिकित्सालय भेज दिया गया। वहां पर जब एक्स रे कराने गए तो डॉक्टर के न होने की बात कह कर उनको आजमगढ़ मंडलीय चिकित्सालय जाने के लिए कहा गया। सारी प्रक्रिया का पालन करते हुए वह आजमगढ़ मंडलीय चिकित्सालय पहुंचे यहां पर भी उन्होंने सीएमओ से लेकर एडी स्वास्थ्य तक से एक्स रे के लिए अनुमोदन कराया। लेकिन जब मंडलीय चिकित्सालय में साधारण से एक्स रे के लिए गए तब मेडिको लीगल केस देखकर डॉक्टर पीछे हट गए। खुद एसआईसी डॉक्टर आमोद कुमार ने भी मना कर दिया और संबंधित डॉक्टर बीसी प्रसाद भी बहाना बनाने लगे। थक हारकर रिटायर्ड आर्मी मैन डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाने लगे लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। जबकि पीड़ित लगातार गुहार लगा रहा था। वहां मौजूद कुछ पत्रकार और स्थानीय लोग जब डॉक्टर की अमानवीय हरकत देखे तो एसआईसी और डॉक्टर से बहस की तब जाकर किसी प्रकार से एहसान के तौर पर डॉक्टर तैयार हुए।