






आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी ने आखिरकार शनिवार को अपने पत्ते खोल दिए। हालांकि जो कयास लगाया जा रहा था उससे उलट समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर से पिछली बार के हारे प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को चुनाव में उतारा है। धर्मेंद्र यादव रिश्ते में अखिलेश यादव के भाई हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव भारी मत से जीते थे। लेकिन सीट छोड़ दिए। इसके बाद 2022 में हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को यहां से प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन वह भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ से हार गए। हालांकि इस उप चुनाव में हार का कारण मुख्य रूप से माने गए बसपा के तबके प्रत्याशी शाह आलम गुड्डू जमाली अब सपा में एमएलसी बनकर आ गए हैं। मुस्लिम और यादव गठजोड़ के बलबूते पर यह सीट इस बार धर्मेंद्र के लिए सेफ मानी जा रही है। हालांकि आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ एक बार फिर कटाक्ष करने से नहीं पीछे हटे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में अखिलेश यादव यहां से जीत कर आजमगढ़ छोड़ दिए थे। वहीं वर्ष 2022 में धर्मेंद्र यादव यहां से हार कर आजमगढ़ छोड़ दिए थे। अब एक बार फिर से आ गए हैं लेकिन इस बार आजमगढ़ की जनता उनको छोड़ देगी।