आजमगढ़ के बेसिक शिक्षा कार्यालय पर शनिवार को उत्तर प्रदेशीय प्रादेशिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में 15 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना का आयोजन किया गया। इस दौरान चेतावनी दी गई कि उनकी मांगे नहीं मांगी गई तो यह धरना अनवरत जारी रहेगा। फिलहाल इसको सोमवार को भी जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान जिला प्रशासन से लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी व बीएसए कार्यालय पर तानाशाही व भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। संघ के जिला अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान करीब दस हजार प्राथमिक शिक्षकों ने चुनाव ड्यूटी की थी। करीब 400 शिक्षक किसी मजबूरी के चलते या किसी अन्य कारण से ड्यूटी नहीं कर सके थे। जिनके ऊपर निलंबन की कार्रवाई की गई और वेतन रोकने की कार्रवाई की गई। यह जिला प्रशासन की हठधर्मिता है और प्राथमिक शिक्षकों को बंधुआ मजदूर समझा जा रहा है। जिस प्रकार से प्राथमिक शिक्षकों को विद्यालयों में पढ़ने के लिए तमाम टारगेट और दबाव दिए जाते हैं वहीं चुनाव ड्यूटी, गांव में जनगणना से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं व माध्यमिक परीक्षाओं में भी ड्यूटी लगा दी जाती है। इसके अलावा भी अन्य कार्य दिए जाते हैं। शिक्षक हमेशा कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन जिस प्रकार से चुनाव ड्यूटी के नाम पर शिक्षकों के वेतन रोकने की कार्रवाई की जा रही है यह असहनीय है और शिक्षक इसको लेकर चुप नहीं बैठेगा। इसके अलावा बेसिक शिक्षा अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कई खंड शिक्षा अधिकारी खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं। तमाम तरीके से उत्पीड़न और धन उगाही कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा कार्यालय भी भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है। पिछले डेढ़ वर्षो से तो स्थिति बहुत ही खराब है। अगर यह इसी तरह जारी रहा तो शिक्षक भी पीछे हटने वाला नहीं है और अपने अधिकार की लड़ाई के लिए संघर्ष जारी रखेगा। जब तक उसकी मांगे नहीं मानी जाएंगी।