आजमगढ़। जनपद के जीजीआईसी विद्यालय के एक कमरे में लाखों रुपये की लागत से खरीदे गए टैबलेट और लैपटॉप धूल-मिट्टी में दबकर सड़ रहे हैं। इन उपकरणों को बच्चों की शिक्षा के लिए खरीदा गया था, लेकिन अब ये कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। मामले का खुलासा तब हुआ, जब विद्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इन्हें चोरी-छिपे हटाने की कोशिश कर रहे थे। कर्मचारियों ने बताया कि यह कार्य विद्यालय के बाबू के निर्देश पर हो रहा था। जैसे ही कैमरे की नजर पड़ी, मौके पर मौजूद लोग खिसक गए। अनुमान है कि मिट्टी के ढेर में दबे इन उपकरणों की संख्या हजारों में है, जिनकी कीमत लाखों रुपये आंकी जा रही है।जीजीआईसी की प्रधानाचार्या रूबी खातून ने पहले कैमरे पर सवाल उठाने की कोशिश की, लेकिन बाद में बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) के निर्देश पर परीक्षा के लिए कमरे की सफाई की जा रही थी। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी ने किसी भी बयान पर रोक लगा रखी है। वहीं, डीआईओएस उपेंद्र कुमार ने कहा कि वे परीक्षा कार्य में व्यस्त हैं और उन्हें टैबलेट-लैपटॉप के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने मामले में नोटिस जारी कर जांच की बात कही। संयुक्त शिक्षा निदेशक नवल कुमार ने आश्वासन दिया कि यदि जनपद में इस तरह की घटना हुई है, तो जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।इस मामले में सपा प्रवक्ता ने सवाल उठाया की आजमगढ़ के जीजीआईसी में हजारों की संख्या में टैबलेट्स और लैपटॉप्स रखे रखे सड़ गये इसे सरकार द्वारा छात्र छात्राओं को वितरित करने के लिए रखा गया था जो वितरित नहीं हो पाए जब सरकार का एजेंडा छात्र छात्राओं नौजवानों के बीच धर्मांधता बाँटने का हो ताकि वो योगी सरकार और भाजपा के नफरती एजेंडे को आगे बढ़ा सकें तो वो सरकार लैपटॉप और टैबलेट कैसे बाँट सकती है। कहा की ज़ब सपा सरकार के लैपटॉप डिस्ट्रिब्यूशन योजना से लाखों की संख्या में छात्र छात्राएं लाभांवित हुए उनकी पढाई से लेकर कॅरिअर बनाने में इसका इस्तेमाल किये हमारी सरकार की नकल तो योगी सरकार ने की लेकिन धरातल पर अमल में नहीं ला सकी क्योंकि धर्मांधता नफरत बाँटने वाली सरकार लैपटॉप टैबलेट कैसे बांटगे।
