जीडी ग्लोबल स्कूल में दो द्विवसीय सदन स्तरीय खो-खो प्रतियोगिता का हुआ आयोजन, खेल से बढ़ती है टीम भावना, अनुशासन और तेज निर्णय लेने की क्षमता : गौरव अग्रवाल, प्रबंधक

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आजमगढ़। खो-खो भारत का पारंपरिक और रोमांचिक खेल है” को अंगीकार करते हुए शारीरिक संवर्धन हेतु गुरूवार को करतालपुर स्थित जीडी ग्लोबल स्कूल में दो द्विवसीय सदन स्तरीय खो-खो प्रतियोगिता का आयोजन भव्यपूर्वक हुआ। प्रतियोगिता का प्रारंभ विद्यालय की निदेशिका स्वाति अग्रवाल, प्रबंधक गौरव अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक श्रीश अग्रवाल ने प्रधानाचार्या दीपाली भुस्कुटे के साथ खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त करते हुए किया। प्रधानाचार्या दीपाली भुस्कुटे ने खो-खो खेल के सभी खिलाड़ियों से परिचयात्मक रूप से मुखातिब हुई। सदन‌ स्तरीय खो-खो प्रतियोगिता बालक वर्ग में प्राथमिक वर्ग में फाइनल मैच वीनस और नेप्चून सदन‌ के मध्य हुआ। जिसमें वीनस सदन के छात्रों ने दस अंक से विजय प्राप्त की। इसी प्रकार बालिका वर्ग में प्राथमिक स्तर पर यूरेनस सदन ने ग्यारह अंक से विजय श्री का खिताब हासिल किया। जहां माध्यमिक स्तर पर बालक वर्ग में वीनस सदन के खिलाड़ियों ने ग्यारह अंक से प्रथम विजेता की उपलब्धि हासिल की वहीं बालिका वर्ग में वीनस सदन ने तेरह अंक से प्रथम स्थान अर्जित किया। वरिष्ठ (सीनियर)स्तर पर बालक वर्ग में यूरेनस सदन ने सोलह अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान, मार्स सदन ने पंद्रह अंक प्राप्त कर द्वितीय स्थान का खिताब अर्जित किया।
विद्यालय की निदेशिका स्वाति अग्रवाल ने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए संदेश दिया कि खो-खो खेल हमें साहस, अनुशासन और टीम भावना का पाठ पढ़ाता है। आप खेल भावना के साथ खेलें, पूरी निष्ठा से प्रयास करें और अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम रोशन करें।” प्रबंधक गौरव अग्रवाल ने अपना आशीर्वचन देते हुए कहा कि खेल हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं। खो-खो जैसे पारंपरिक भारतीय खेल हमें न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि टीम भावना, अनुशासन और तेज निर्णय लेने की क्षमता भी सिखाते हैं। खेल को केवल जीतने का माध्यम न समझें, बल्कि इसे सीखने और आत्मविकास का अवसर मानें। पूरे जोश और निष्पक्षता के साथ खेलें, यही असली खिलाड़ी की पहचान है।” कार्यकारी निदेशक श्रीश अग्रवाल ने खिलाड़ियों को प्रेरणा देते हुए कहा खेल जीवन में संतुलन, समर्पण और सहयोग की भावना पैदा करते हैं। खो-खो ऐसा खेल है जो गति, बुद्धि और रणनीति – तीनों का अद्भुत संगम है।

आप जब मैदान में उतरें, तो याद रखें कि हर पसीने की बूँद आपके आत्मविश्वास और साहस को और मजबूत बनाती है।” प्रधानाचार्या दीपाली भुस्कुटे ने अपने उद्बोधन में बताया कि यह गर्व का विषय है कि आप सभी खो-खो जैसे पारंपरिक खेल को पूरे उत्साह से आगे बढ़ा रहे हैं। खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि मन को भी प्रसन्न और अनुशासित बनाते हैं।खेल के मैदान में गिरना, उठना, दौड़ना और फिर जीत की ओर बढ़ना – यही जीवन का सच्चा पाठ है।

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