DM ने कलेक्ट्रेट भवन पर 78वें स्वतंत्रता दिवस पर किया झंडारोहण, आजादी के आंदोलन व महत्व पर डाला प्रकाश

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आजमगढ़ – जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने आज कलेक्ट्रेट भवन पर 78वें स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण किया। जिलाधिकारी ने इस अवसर पर कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों/कर्मचारियों को संबोधित करते हुए सभी लोगों को 78वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। जिलाधिकारी ने कहा कि 8 हजार साल पुरानी हमारी सभ्यता है। उन्होंने कहा कि हथकरघा, हस्तशिल्प, कपड़े, मसाले एवं यहां की समृद्धि विदेशी आक्रांताओं को आकर्षित करती रही है, विश्व में हमारा देश सोने की चिड़िया के रूप में पहचाना जाता रहा है। अंग्रेजों के आने से पहले विश्व में व्यापार का लगभग 25 प्रतिशत योगदान भारत का था। उन्होंने कहा कि अंग्रेजो के जाते-जाते व्यापार सिर्फ डेढ़ प्रतिशत ही रह गया। उन्होंने कहा कि कई सौ ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति उपनिवेश के देश ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाली द्वारा लूटा गया। उन्होंने कहा कि यूरोप का आर्थिक साम्राज्य 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में खड़ा हुआ, वह साम्राज्य भारत से लूटे गए धन से खड़ा किया गया था, यह साम्राज्य भारत से लूटे धन से बना था। उन्होंने कहा कि उसका परिणाम यह था कि भारत में सूई तक नहीं बनती थी। उन्होंने कहा कि आजादी केवल आक्रांताओं/विदेशी आक्रांताओं से ही नहीं लेनी थी, बल्कि आजादी हर उस व्यवस्था से लेनी थी, जो जन सहयोग के उत्पीड़न से, साथ में जो सामाजिक आर्थिक नीतियां हैं, उनसे लेना था। उसका परिणाम यह था कि स्वतंत्रता के तत्काल बाद जमींदारी विनाश की थी। जमींदारी विनाश से हम सभी सीधे जुड़े हैं। जमींदारी विनाश के आंदोलन होते ही जो मध्यम वर्ग था, जो किसान और सरकार के बीच की लाखों, करोड़ों लोग थे, उनको भूमि के अधिकार दिए गए। वे अपने भूमि पर काबिज हुए, उन्हें अब कोई भी उनकी जोत से बेदखल नहीं करेगा। कहा जाता है की जमींदारी के विरुद्ध जो आंदोलन था, उससे जो प्रभावित होने वाले लोग थे, वे काफी संख्या में मुसलमान जमींदार थे, उन्होंने जो अलग राष्ट्र की मांग की, उसका एक आधार यह भी था। 14/15 अगस्त के मध्य रात्रि में जो देश का विभाजन हुआ, उस विभाजन के बाद मुस्लिम बाहुल्य देश पाकिस्तान बना था, फिर 1971 में उसका भी बंटवारा हुआ। उन्होंने कहा कि इन दोनों देशों की आज की आर्थिक समस्याओं से जोड़ तो यह तीनों राष्ट्र एक ही पंक्ति में 1947 में था, किंतु सामाजिक, आर्थिक जो बदलाव हुआ, उसके कारण आज हम इन दोनों से काफी आगे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवस्था जन सामान्य की भरोसे के बगैर नहीं चलती है और यह भरोसा हमारी न्यायपालिका, हमारा आर्थिक तंत्र और जनता से जुड़े सभी विभाग द्वारा कार्य किए जाते हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि लगभग 4 लाख राजस्व वादों का निस्तारण किया गया है। राजस्व वादों का निस्तारण, राजस्व अभिलेखों का उचित रख रखाव, राजस्व अभिलेखों का अत्याधुनिकरण का यह प्राथमिक दायित्व है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य है, जिससे आम जनमानस का भरोसा हमारे ऊपर होता है। उन्होंने कहा कि यदि न्याय व्यवस्था चाहे वह सिविल न्याय हो, आपराधिक न्याय हो, उनका समय से निस्तारण नहीं होगा, तो जन सामान्य का भरोसा व्यवस्था से उठेगा और तब स्वतंत्रता जिसको बहुत बड़ी कीमत देकर हमने हासिल किया है, उसको बनाए रखना हमारे लिए मुश्किल होगा। इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन करें, उसमें सुचिता, पारदर्शिता, समयबद्धता रहेगी तो राष्ट्र की सुरक्षा एवं एकता अक्षुण्य रहेगी। उन्होंने कहा की देश केवल सीमाओं से असुरक्षित नहीं होते हैं, बल्कि राष्ट्र की असुरक्षा उनके आर्थिक तंत्र को लेकर तथा सामाजिक ताने-बाने को लेकर भी होती है। यदि पंक्ति में खड़ा अंतिम व्यक्ति को भरोसा है की व्यवस्था उनके प्रति निष्पक्ष है, जो जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं, यदि समय से उसे प्राप्त होगी तो वह इस व्यवस्था से जुड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि अभी कुछ महीने पहले ही विश्व का सबसे बड़ा चुनाव कराया गया है, यह भी एक व्यवस्था थी, भरोसा था। जनपद के मतदाताओं द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग किया गया तथा कोई विवाद व कोई आक्षेप नहीं रहे। हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि लोगों का भरोसा हम पर बना रहे। आर्थिक रूप से जो चुनौतियां हैं, उससे निपटने के लिए जितना हो सके हमें प्रयास करना चाहिए। सीमाओं से इतर जो देश के अंदर से देश की स्वतंत्रता एवं आर्थिक विकास के लिए जो बाधाएं हैं, उसे समय रहते दूर करें।
इससे पूर्व राजकीय बालिका इण्टर कालेज की छात्राओं द्वारा देशभक्ति गायन की प्रस्तुति की गयी, जो काफी सराहनीय रहा। जिलाधिकारी द्वारा सभी छात्राओं को पेन व उपहार देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य राजस्व अधिकारी विनय कुमार गुप्ता, अपर जिलाधिकारी प्रशासन राहुल विश्वकर्मा, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व आजाद भगत सिंह सहित कलेक्ट्रेट के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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