
आज़मगढ़, :आज़मगढ़ पब्लिक स्कूल में “सर सैयद दिवस अखिल भारतीय मुशायरा 2025” का आयोजन अत्यंत उत्साह, साहित्यिक वातावरण और गरिमामय उपस्थिति के साथ संपन्न हुआ। यह मुशायरा महान शिक्षाविद्, समाज सुधारक और अलीगढ़ आंदोलन के प्रणेता सर सैयद अहमद ख़ाँ साहब की स्मृति और उनके विचारों को समर्पित था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. मोहम्मद ताहिर (विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, शिबली नेशनल कॉलेज, आज़मगढ़) ने की, जबकि मंच संचालन का कार्य प्रसिद्ध शायर नदीम फ़र्रुख़ ने बड़े ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में किया।
आरिफ नसीम साहब ने मंच पर उपस्थित सभी शायरों का हार्दिक स्वागत किया और उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
मुशायरे के प्रारंभ में महफूज़ अहमद साहब ने सर सैयद अहमद ख़ाँ के जीवन, उनके शैक्षणिक योगदान और आधुनिक भारत में उनकी प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मुशायरे में देश के जाने-माने शायर — हिमांशी बाबरा, प्रो. सफ़राज़ नवाज़, बिलाल सहारनपुरी, मयकश आज़मी, और शादाब आज़मी — ने अपनी उम्दा ग़ज़लों और नज़्मों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे, जिनमें —
डॉ. ग्यास असद ख़ान, डॉ. शाहाबुद्दीन, डॉ. शफ़ीउज़्ज़माँ, अब्दुल्ला अलाउद्दीन, तथा अख़लाक़ अहमद — विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे।
मुशायरे में स्कूल के छात्रों ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर दर्शकों की खूब सराहना प्राप्त की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. मोहम्मद ताहिर साहब ने कहा —
> “उर्दू हमारी तहज़ीब, अदब और इंसानियत की ज़ुबान है।
सर सैयद की सोच आज भी हमें ज्ञान, एकता और तरक़्क़ी की राह दिखाती है।”
मुशायरे के अंत में स्कूल के मैनेजर सी.ए. मोहम्मद नोमान साहब ने सभी अतिथियों एवं शायरों का धन्यवाद ज्ञापित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा —
> “हमारा उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में भाषा, संस्कृति और समाज के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना है।
सर सैयद अहमद ख़ाँ की शिक्षाएँ हमें यही सिखाती हैं कि इल्म और अदब साथ-साथ चलें।
आज का यह आयोजन उसी सोच को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है।
मैं इस अवसर पर सभी विशिष्ट अतिथियों, शायरों और विद्यालय परिवार का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।”
इस अवसर पर विद्यालय के समस्त कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
मुशायरे का समापन देशभक्ति और अदबी जज़्बे से लबरेज़ माहौल में हुआ।
“सर सैयद दिवस अखिल भारतीय मुशायरा 2025” ने आज़मगढ़ पब्लिक स्कूल के शैक्षणिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक यादगार अध्याय जोड़ दिया।