जल में खड़ी हो अर्घ्य दे महिलाओं ने भगवान भाष्कर से मंगल की कामना की, बादलों की छांव में सूर्य को लेकर रही बेसब्री, अस्त का समय देख दिया अर्घ्य

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आज़मगढ़ : शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए भारी संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। नदी के घाटो से लेकर सरोवर और अन्य जलाशयों पर हुजूम उमड़ पड़ा। शहर में कई लोगों ने घरों की छत पर टब में अर्घ्य दिया। हालांकि घाटों पर एक अलग ही नजारा था। सोमवार को पूरे दिन भगवान भास्कर बादलों की ओट में ही छिपे रहे। शाम को भी यही स्थिति रही। लोगों ने सूर्यास्त का समय देखकर आगे दिया। सूर्यास्त के समय महिलाएं व पुरुष विभिन्न पकवान, फल-फूल, पान सुपारी, रोरी, अक्षत, दूध आदि पूजन सामग्री बांस की बनी सुपोलियों में रखकर अस्त हो रहे सूर्य को अर्ध्य दिया। देर शाम पुनः महिलाएं सुपोली में जलता हुआ घी का दिया लेकर घर आयीं जिसे पूरी रात जलाई। महिलाएं सुहाग जोडे में सजकर मंगलगीत गाती गाजे बाजे के साथ नंगे पांव घाटों एवं जलाशयों पर पहुंचकर जल के भीतर खडी होकर उगते हुए सूर्य का इन्तजार करती हुई उगते हुए भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया। ग्रामीण क्षेत्र में अस्ताचल सूर्य को छठ व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया कोई पुत्र कामना को लेकर तो कोई समृद्धि और सुख को लेकर रखी थी व्रत, छठ के महापर्व पर सभी नगर पंचायत सहित पूरे क्षेत्र में जलाशयों नदियों के घाटों पर बड़ी ही धूमधाम और उल्लास से मनाया गया। पोखरा पर सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने अस्ताचल में जाते सूर्य को सर्व मंगल की कामना लेकर अर्घ्य दिया। कमर भर पानी में खड़ी होकर सूर्य ध्याम कर रही थी। शाम होते होते जगमग रोशनी में पूरा घाट सज गया। वहीं समाजसेवी संस्थाओं द्वारा घाट पर चाय आदि की व्यवस्था भी किया गया था।

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