
आजमगढ़ : ऑनलाइन प्रोडक्ट की सेल व मार्केट वैल्यू बढ़ाने के लिए प्रोडक्ट “बूस्ट” करने के नाम पर लगभग ₹13 लाख की ठगी करने वाले अन्तर्राज्यीय साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ कर 04 शातिर अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया।
वहीं आजमगढ़ साइबर पुलिस ने भारी मात्रा में फर्जी बैंक दस्तावेज, एटीएम व मोबाइल बरामद किया है। थाना साइबर क्राइम टीम द्वारा थाना साइबर पर पंजीकृत धारा 318(4), 319(2), 317 BNS व 66C, 66D IT Act से सम्बन्धित विवेचना व साइबर ठगी के मुकदमें का सफल अनावरण करते हुए संलिप्त गिरोह के अन्तर्राज्यीय 04 शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। दिनांक 18 सितंबर 2025 को वादी भूपेन्द्रनाथ यादव पुत्र स्व. भूल्लन प्रसाद यादव निवासी ग्राम गांगेपुर, थाना रौनापार, द्वारा थाना साइबर क्राइम पर लिखित तहरीर दी गई कि उनके पुत्र आर्यन यादव के मोबाइल नम्बर को एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया, जहाँ बताया गया कि वे “WOOCOMMERCE” नामक कम्पनी के लिए कार्य करते हैं। उक्त कम्पनी की वेबसाइट “WOOAUTOMATTIC.COM” पर प्रोडक्ट की सेल व मार्केट वैल्यू बढ़ाने हेतु प्रोडक्ट को “बूस्ट” करने के नाम पर कार्य कराया जाता है। अभियुक्तों द्वारा वादी के पुत्र को अधिक लाभ का झांसा देकर विभिन्न बैंक खातों में कुल ₹12,64,249/- (बारह लाख चौंसठ हजार दो सौ उन्चास रुपये) जमा कराकर ठगी कर ली गई। तकनीकी साक्ष्यों से अभियुक्त रोहित कुमार का खाता INDUSIND बैंक खाता साइबर अपराध में उपयोग होना पाया गया। स्थानीय पुलिस की सहायता से अभियुक्त रोहित को उसके घर जाकर पूछताछ की गई, जिसमें उसने अपने साथियों मोनू, मोहित व अजय तथा लखनऊ निवासी शक्ति कपाड़िया का नाम बताया। अभियुक्तों की निशानदेही पर थाना साइबर क्राइम टीम ने लखनऊ के होटल APM Palace, विकासनगर में काल्पनिक खाताधारक बनाकर जाल बिछाया।
27 अक्टूबर को सुबह में मुख्य अभियुक्त शक्ति कपाड़िया ने लखनऊ स्थित APM होटल के कमरे में एटीएम व पासबुक लेने आया तो पुलिस टीम ने तत्परता से कार्यवाही कर उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
तलाशी में अभियुक्त शक्ति कपाड़िया के पास से कई बैंक पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड व ₹540 नगद बरामद हुए। अभियुक्त शक्ति कपाड़िया द्वारा प्रदेश के बाहर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश आदि राज्यों के खातों से पैसे मंगाने मे इस्तेमाल किया जाता था। गिरफ्तार अभियुक्तगण में
शक्ति कपाड़िया पुत्र स्व. संतोष कपाड़िया, निवासी अलीगंज, लखनऊ
मोनू पुत्र राम सिंह, निवासी रौतामई, थाना गुरुसहायगंज, जनपद कन्नौज
रोहित कुमार पुत्र सत्यराम, निवासी फकरपुर बरेवा, थाना ठठिया, जनपद कन्नौज
मोहित कुमार पुत्र राजकुमार, निवासी बरका गांव, थाना कोतवाली, जनपद कन्नौज हैं। बरामदगी 04 मोबाइल फोन, 07 एटीएम कार्ड, 02 आधार कार्ड, 02 पासबुक, 04 चेकबुक और नगद ₹540/- है। पूछताछ में मुख्य अभियुक्त शक्ति कपाड़िया ने बताया कि वह टेलीग्राम एकाउंट के माध्यम से “SIMBA”, “B LEE COOPER” तथा “NOBITA” नामक IDs से जुड़े व्यक्तियों से संपर्क में रहता था। ये लोग गेमिंग एवं साइबर फ्रॉड से प्राप्त धनराशि विभिन्न खातों में ट्रांसफर कराते थे।
अभियुक्त शक्ति ने बताया कि वह लोगों को झांसे में लेकर उनके बैंक खाते और दस्तावेज प्राप्त कर लेता था तथा उन्हें साथ लेकर बैंक जाकर धनराशि की निकासी करवाता था। निकासी के बाद खाता धारकों को उनका कमीशन देकर वह “YESS” और “SIMBA” नामक व्यक्तियों से संपर्क करता था, जो बैंक के बाहर चारपहिया वाहन से आकर नकदी लेकर चले जाते थे।
अभियुक्त शक्ति कपाड़िया द्वारा खाता धारक से यह जांचने के लिए कि उसके बैंक खाते में UPI सक्रिय है या नहीं, 50 रुपये की राशि “IN” एवं “OUT” (जमा और निकासी) का स्क्रीनशॉट मंगाया जाता था, ताकि खाते की सक्रियता की पुष्टि की जा सके। पैसे का लालच देकर रोहित, मोनू, मोहित व अजय नामक व्यक्ति “शक्ति” नामक व्यक्ति से जुड़े, जो लखनऊ में रहकर विभिन्न खाताधारकों के बैंक खाते व दस्तावेज लेकर ठगी का कार्य कराता था।अभियुक्त शक्ति के माध्यम से विभिन्न खातों में लाखों रुपये भेजे गए, जिन्हें चेक, एटीएम व UPI से निकालकर नकद रूप में “Yash” व “Simba” नामक व्यक्तियों को सौंपा जाता था। लेन-देन के लिए वर्चुअल नंबर व टेलीग्राम IDs (Lee Cooper, Nobita, Simba) का उपयोग किया जाता था ताकि पहचान छिपी रहे।
अपराध का तरीका Modus Operandi इस प्रकार रहा।
अभियुक्तगण टेलीग्राम ऐप पर “GST बचाने” या “ऑनलाइन पार्ट टाइम जॉब” और पैसे बढ़ाने के नाम पर लोगों से संपर्क करते थे। इनके द्वारा “Lee Cooper”, “Nobita”, “Simba” जैसे फर्जी टेलीग्राम ID से ग्रुप बनाए जाते थे। लालच देकर लोगों से बैंक खाते, पासबुक, एटीएम कार्ड व संबंधित दस्तावेज एक निश्चित कमीशन पर प्राप्त करते थे।
उक्त बैंक खातों में ऑनलाइन ठगी से प्राप्त धनराशि ट्रांसफर की जाती थी। इसके बाद उक्त राशि को चेक, एटीएम या UPI के माध्यम से निकालकर नकद में परिवर्तित किया जाता था।
निकाली गई रकम “Yash” व “Simba” नामक व्यक्तियों को सुपुर्द की जाती थी।
अपनी पहचान छिपाने के लिए अभियुक्त वर्चुअल नंबर, फर्जी सिम टेलीग्राम ग्रुप का प्रयोग करते थे।
