
प्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक विजय बहादुर राय को उनकी पहली पुण्यतिथि पर याद किया गया। कचहरी स्थित तमसा प्रेस क्लब में उनकी याद में एक आयोजन किया गया। यह आयोजन पत्रकारों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और उनके परिवारीजन के द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक दैनिक देवव्रत के संपादक विजय यादव रहे जबकि अध्यक्षता किसान नेता और वामपंथी चिंतक जय प्रकाश नारायण की। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में जयप्रकाश नारायण ने कहा कि विजय बहादुर राय ऐसे सोशलिस्ट थे, जो निरन्तर परिवर्तन की शक्तियों के साथ एकताबद्ध रहे। वे सोशलिस्ट सीमाओं को तोड़ते हैं और नये राजनीतिक विकल्पों की तरफ उम्मीद से देखते थे। उन्होंने कहा, कि एक जमींदार परिवार से निकलकर नये सामाजिक निर्माण के लिए चल रहे राजनीतिक आन्दोलन के द्वारा विजय बहादुर राय ने खुद को लोहिया और राजनारायण से जोड़ा। वे सड़क की राजनीति से अंत तक जुड़े रहे। जयप्रकाश नारायण ने उनके साथ अपने निजी और राजनीतिक सम्बन्धों को भी साझा किया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए डॉक्टर विनय कुमार सिंह यादव ने उनको याद करते हुए कहा, कि विजय बहादुर राय का नयी पीढ़ी से भी उतना ही जीवंत सम्बन्ध था, जितना अपनी पीढ़ी के साथ। उन्होंने याद करते हुए कहा कि आज़मगढ़ फिल्म फेस्टिवल से उनके साथ रिश्ता बना और कब वह पित्रवत सम्बन्ध में बदल गया। उनका व्यक्तित्व ऐसा था। वामपंथी नेता ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि विजय बहादुर राय हमेशा हिन्दुवादी साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ मुखर रहे और लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों के लिए हमेशा बड़े रहे। संस्कृतिकर्मी दुर्गा सिंह ने कहा कि विजयबहादुर राय ने अपना ईमान और आलोचनात्मक विवेक जीवित रखा। इसीलिए वे सत्ता की हर जनविरोधी नीति के खिलाफ मुखर रहते थे। इस स्मृति सभा में बोलते हुए सुमन कुमार सिंह ने उन्हें याद करते हुए कहा कि बचपन से उनके साथ रहने का, बैठने का अवसर मिला। वे अपने से बेटे लोगों के साथ भी सहज संवाद रखते थे। इस आयोजन में नन्दलाल यादव, जुल्फिकार बेग, रविन्द्रनाथ राय समेत कई लोगों ने उन्हें याद किया। इसमें आनन्द उपाध्याय, बाबर अशफाक खान, कल्पनाथ यादव, अनिल राय, सुधीर राय, सुभाष सिंह यमुना प्रजापति, विनोद सिंह, हरिश्चन्द्र यादव, पतिराम यादव, बुझारत यादव समेत कई वामपंथी, समाजवादी नेता, पत्रकार और उनके परिवार के लोग उपस्थित रहे।