सैनिक सम्मान के साथ विदा हुआ वीर सपूत, आजमगढ़ की धरती हुई नम आंखों बनी गवाह, सड़क हादसे में घायल होकर गई थी जान

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आजमगढ़ में बीते गुरुवार को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए सेना के जवान मुरलीधर यादव ने इलाज के दौरान रविवार को लखनऊ में अंतिम सांस ली। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा, परिजनों में कोहराम मच गया और पूरा क्षेत्र शोक की गहरी लहर में डूब गया। हर आंख नम थी, हर दिल भारी—गांव ने अपने लाल को खो दिया। आजमगढ़ जनपद के बिलरियागंज थाना क्षेत्र अंतर्गत पांती खुर्द गांव निवासी मुरलीधर यादव (उम्र लगभग 26 वर्ष), पुत्र सरवन यादव, वर्ष 2019 में भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए थे और इस समय महाराष्ट्र के पुणे में तैनात थे। वे 15 दिन की छुट्टी लेकर घर आए हुए थे। बृहस्पतिवार को किसी निजी कार्य से बुलेट गाड़ी द्वारा आजमगढ़ गए थे। रात में घर लौटते समय हाफिजपुर के पास किसी अज्ञात वाहन की टक्कर से वे गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां हालत नाजुक देख चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। परिजन उन्हें लखनऊ ले गए, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद रविवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। वीर जवान की शहादत की खबर मिलते ही सेना विभाग सक्रिय हुआ और पूरे सैनिक सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को अपने कब्जे में लेकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। रविवार की रात सेना के वाहन से सैनिकों की मौजूदगी में पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया। सोमवार की सुबह उनका शव अलगू स्मारक इंटर कॉलेज, आजमपुर चकिया में रखा गया यह वही स्थान, जहां से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी। सुबह करीब 8 बजे हजारों लोगों की मौजूदगी में अंतिम यात्रा शुरू हुई।
“भारत माता की जय”, “जब तक सूरज-चांद रहेगा, मुरलीधर तेरा नाम रहेगा” जैसे गगनभेदी नारों के बीच, आगे-आगे सजी हुई वाहन पर वीर जवान की तस्वीर, देशभक्ति गीतों की गूंज और पीछे-पीछे उमड़ा जनसैलाब—यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया। आजमपुर बाजार से लेकर श्रीनगर सियरहा, सेठारी, सरैया बाजार तक लोगों ने अश्रुपूरित नेत्रों से श्रद्धांजलि दी। बाबा विश्वनाथ इंटर कॉलेज सहित विभिन्न विद्यालयों के हजारों बच्चों ने देशभक्ति नारों के साथ अपने वीर भैया को नमन किया। मृतक जवान के पिता श्रवण यादव वरिष्ठ भाजपा नेता हैं। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। श्रद्धांजलि देने वालों में सत्येंद्र राय, राधेश्याम सिंह, गुड्डू, बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट अखिलेश सिंह, श्रीकृष्ण पाल, जनपद के सभी मंडल अध्यक्ष सहित हजारों लोग शामिल रहे। मुरलीधर यादव दो भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे थे। अभी किसी की शादी नहीं हुई थी। वर्ष 2019 में सेना में भर्ती होकर उन्होंने न सिर्फ अपने गांव बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया था। वे परिवार के भरण-पोषण का एकमात्र सहारा भी थे। गांव में सभी धार्मिक और पारिवारिक रस्में पूरी करने के बाद सेना के जवानों द्वारा पार्थिव शरीर को राजघाट ले जाया गया, जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गार्ड ऑफ ऑनर, सलामी और राष्ट्रध्वज में लिपटा पार्थिव शरीर—हर पल दिल को चीर देने वाला था।
अंतिम विदाई के समय माता-पिता, भाई-बहन और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरा गांव स्तब्ध था। हर जुबान पर एक ही बात—देश ने अपना सच्चा सपूत खो दिया। वीर जवान मुरलीधर यादव की शहादत को आजमगढ़ कभी नहीं भूलेगा। उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा देता रहेगा ।

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