
आजमगढ़: थाना साइबर क्राइम जनपद आजमगढ़ पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर व मोहर व थाना मेहनगर की फर्जी मोहर से कूटरचित नोटिस धारा 41(1) Cr.PC तैयार ठगी करने वाले अभियुक्त की गिरफ्तारी की गयी है। आवेदक गुलाबचन्द पुत्र संगति ग्राम ठोठीया थाना मेहनगर द्वारा पुलिस अधीक्षक को प्रा0पत्र दिया गया कि दि0 05.10.2025 को प्रार्थी व प्रार्थी के भाईयों सुबाषचन्द व सतीशचन्द को डाक से नोटिस प्राप्त हुई कि सन्तोष पुत्र वंशु व सुनील पुत्र लालमनि कश्यप के प्रार्थना पत्र के आधार पर धारा 318(4), 319(2), 338, 336(3), 340(2), 352, 351(2) BNS व 66D IT ACT 2008 पंजीकृत है। जिसमे पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ के समक्ष उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करें नहीं तो गिरफ्तारी की जायेगी । नोटिस के नीचे पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ के हस्ताक्षर व मोहर तथा थाना मेंहनगर की मोहर व अंकित तिवारी लिखा था। प्रार्थी के मोबाइल पर 22492.30 रू जमा करने का ओटीपी भेजने पर प्राप्त शिकायत के आधार पर लोकेशन व मुखबिर की सूचना पर थाना साइबर क्राइम जनपद आजमगढ़ के प्रभारी निरीक्षक द्वारा अभियुक्त को उसकी दुकान फिनो पेमेंट बैंक गोसाई बाजार से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा पूछताछ में बताया गया कि मेरे गांव के सुनील कश्यप व गुलाबचन्द्र के बीच जमीनी विवाद है। उक्त विवाद में दोनो को उलझाकर मै लाभ लेना चाह रहा था। इसके लिए मैंने अपने लैपटाप मे सुभाष चन्द्र, सतीश चन्द्र व गुलाबचन्द्र के नाम से एक फर्जी नोटिस धारा 41ए CRPC जिसपर पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ की मोहर व थाना मेहनगर की फर्जी मोहर लगाया था। मैंने पूरी तैयारी से पहले ही थाना मेहनगर की फर्जी मुहर बनवा ली थी। नोटिस पर वही मुहर लगाकर मैने फर्जी हस्ताक्षर बना दिये और कम्प्यूटर पर पुलिस अधीक्षक की फर्जी मुहर जेनरेट कर बना कर कलर प्रिन्ट निकाल लिया तथा पोस्टआफिस पर जाकर पोस्ट कर दिया। चूकि गुलाबचन्द्र हर मामले में मुझसे ही सलाह लेते थे अतः मुझे मालूम था कि नोटिस मिलने के बाद मेरे ही पास आयेगें। गुलाबचन्द्र ने नोटिस के बारे मे मुझसे बताकर मदद मांगी तो मैने कहा ठीक है पुलिस आफिस आजमगढ़ कल लेकर चलूँगा। अगले दिन गुलाबचन्द्र को लेकर मै पुलिस आफिस आया और उसे बाहर खड़ा रहने के लिए बोलकर मै अन्दर इधर उधर समय काटता रहा व इसी बीच मैने अपने लैपटाप के माध्यम से pay.ecourts.gov.in वेबसाइट से 22,492.30 रू पेमेन्ट करने का एक फर्जी मैसेज जनरेट कर गुलाब चन्द्र के मोबाइल पर भेज दिया। फिर बाहर निकल कर मैने पूछा की क्या कोई ओटीपी आया है। तब गुलाबचन्द्र ने अपना मोबाइल मुझे दिखाया तो मैंने पैसे पेमेंट करने हेतु कहा। मैं इसी लालच में था पैसे भी मिल जायेगे तथा मदद का एहसान जताकर उनकी विवादित जमीन मे मध्यस्थता का भी लाभ लूंगा।