
आजमगढ़: शनिवार को करतालपुर स्थित जीडी ग्लोबल स्कूल में आयोजित एक विशेष शैक्षणिक–आध्यात्मिक कार्यक्रम में परम पूज्य भक्ति पद्म सौरभ प्रचारक स्वामी जी ने “गीता पर आधृत शिक्षा के मूल्य” विषय पर प्रभावशाली और गहन व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के बच्चों ने स्वामी जी को तिलक लगाकर तथा पुष्प वर्षा से किया। विद्यालय की निदेशिका श्रीमती स्वाति अग्रवाल, प्रबंधक श्री गौरव अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक श्री श्रीश अग्रवाल ने प्रधानाचार्या श्रीमती दीपाली भुस्कुटे के साथ स्वामी जी को माल्यार्पण कर स्वागत किया। विद्यालय की छात्राओं ने मनमोहक स्वागत गीत प्रस्तुत किया। स्वामीजी ने अपने संबोधन में तीन बातों पर बल दिया, प्रथम जैसा आहार वैसा विचार, द्वितीय भौतिक संसार से अध्यात्मिक संसार की ओर उन्मुख तृतीक्ष आत्म-संयम । उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से ध्यानयोग मन के नियंत्रण पर आधारित है, आज की शिक्षा प्रणाली के लिए अत्यंत प्रासंगिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवन की तेज़ रफ़्तार और प्रतिस्पर्धा के बीच विद्यार्थी अक्सर मानसिक थकान, तनाव और एकाग्रता की कमी का सामना करते हैं। ऐसे समय में गीता के सिद्धांत उन्हें मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास देते हैं।
स्वामीजी ने कहा, “सच्ची शिक्षा वही है जो मन को संयमित करे, बुद्धि को तेज़ करे और चरित्र को श्रेष्ठ बनाए।” उन्होंने समझाया कि विद्यार्थी जीवन में एकाग्रता, अनुशासन, नियमितता और सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण ध्यानयोग और आध्यात्मिक साधना से होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण करने वाले मार्गदर्शक होते हैं। इसलिए शिक्षक–विद्यार्थी संबंध में स्नेह, विश्वास और सात्त्विक संवाद अत्यंत आवश्यक हैं।
कार्यक्रम के दौरान स्वामीजी ने कई व्यावहारिक उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे गीता के सिद्धांत आज भी शिक्षा, व्यक्तिगत विकास और जीवन-प्रबंधन के क्षेत्र में पूर्णतया लागू होते हैं। उन्होंने माता-पिता से आग्रह किया कि वे बच्चों में मूल्य-आधारित शिक्षा का वातावरण तैयार करें और उन्हें समय-समय पर आध्यात्मिक अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करें।
कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय की निदेशिका, प्रबंधक तथा कार्यकारी निदेशक ने स्वामी जी को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। विद्यालय की प्रधानाचार्या दीपाली भुस्कुटे ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्वामीजी के गहन एवं सरल भाषा में प्रस्तुत मर्मस्पर्शी विचारों की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज को सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं।
